Thursday, May 30, 2013

शशांक की कलाएं
हाँ जी ये शशांक है, पर घटने बढ़ने वाली चाँद की कला से इनका कुछ लेना देना नहीं. ये तो निरंतर बढ़ने वाले शशांक हैं. पिछले ४ अप्रैल को उम्र का पहला पड़ाव पार कर चुके हैं. आइए देखिए इनकी अदाओं को
देखो मेरे दांत अब लीची के छिलके काट सकते हैं 
ये मैं हूँ शशांक, समझे 

लो मेरे दांत भी देख लो 

वाह लीची भी क्या चीज है!

फोटो खीचना है तो खिचिए न!


हूँ............सब कुछ समझ रहा हूँ 

 मैं भी हूँ 

जरा ठीक से फोटो खींचो, बड़ी गर्मी है, बिजली भी नहीं है 

अले देखो ये मेरे बड़े पापा हैं, लोज  (रोज ) क्यों नहीं आते ?

अले पापा जी इतना खुश क्यों हैं 

अच्छा तो ये फिर चले जायेंगे !

Sunday, May 12, 2013

चारु की चित्रकारी





बिल्लियों से मुलाकात से पहले चारु ने अपने दोस्त डॉली डॉल्फिन से मुझे मिलवाया. मैंने कहा कि ये तो ह्वेल है तो उसने तुरत टोका कि डॉल्फिन है. फिर उसके बाद अचानक चारु की चित्रकारी एक एक करके सामने आने लगी. क्या कल्पनाशीलता है और क्या कमाल के रेखांकन हैं! आइए चलें रेखाओं और रंगों के इस संसार में.
चारु की डॉल्फिन डॉली 

मेरी छतरी डॉल्फिन 




ऐसी चिड़िया देखी है किसने?

ये क्या है बुझो तो जाने...तितली तो नहीं!

सूरज, घर, पेड़ और इतने लोग. यही तो देखा था नानी के घर 

वाह ये रंग तो कमाल की चीज़ हैं 

रंग ही से तो फूल हैं और हैं चिड़िया और पौधा भी,


चिड़िया और लड़की 

मेरी प्यारी बिल्ली 

तेज तर्रार मछली 

बिना रंग का फूल भी कितना सुन्दर!



शेर देखकर लड़की रोयेगी नहीं क्या?



ये मैंने बनाया कौवा 



सहेली 






लो मैंने भी बना दिया डोरेमान 



बोलो मेरी  डॉल्फिन बाय बाय!



चारु की बिल्लियों से मुलाकात



कई माह से सोच रहा था बच्चों का एक ब्लॉग बनाने के लिए. आज बना डाला.  साथी धर्मेन्द्र की बिटिया चारु कुबेर जी की  बिल्लियों से मिलने आयी थी. मैंने एक बार उससे वादा किया था कि उसकी मुलाकात उनसे करवाऊंगा. चारु  देर तक उनसे खेलती रही. हालाँकि उसे बहुत आश्चर्य हो रहा था कि वे मेरी गोद में कैसे आ जा रहे हैं. जबकि उसे तो बस खुद को छूने ही दे रहे हैं. वह ढेर सारे सवाल पूछती रही कि ये क्या खाते हैं? खाकर बाहर कहाँ चले जाते हैं? ये दूध क्यों नहीं पीते? बिल्लियाँ जो घर में रहने के लिए कई बार जिद किये रहती हैं, आज चारु उनके पीछे पड़ी थी, सो जैसे ही दरवाजा खुला वे बाहर निकल गईं,. चारु भी उनके पीछे बाहर भागी, पर पेट भर जाने के बाद वे पकड़ में कहाँ आती हैं. फिर किसी दिन आने का वादा करके चारु अपने पापा के साथ घर चली गई. बच्चों की दुनिया में चारु फिर आयेगी और उसके बहुत सारे दोस्त भी आयेंगे. उनके चित्र, उनकी तस्वीरें, उनके गाने और भी बहुत कुछ आएगा.