बिल्लियों से मुलाकात से पहले चारु ने अपने दोस्त डॉली डॉल्फिन से मुझे मिलवाया. मैंने कहा कि ये तो ह्वेल है तो उसने तुरत टोका कि डॉल्फिन है. फिर उसके बाद अचानक चारु की चित्रकारी एक एक करके सामने आने लगी. क्या कल्पनाशीलता है और क्या कमाल के रेखांकन हैं! आइए चलें रेखाओं और रंगों के इस संसार में.
चारु की डॉल्फिन डॉली |
मेरी छतरी डॉल्फिन |
ऐसी चिड़िया देखी है किसने? |
ये क्या है बुझो तो जाने...तितली तो नहीं! |
सूरज, घर, पेड़ और इतने लोग. यही तो देखा था नानी के घर |
वाह ये रंग तो कमाल की चीज़ हैं |
रंग ही से तो फूल हैं और हैं चिड़िया और पौधा भी, |
चिड़िया और लड़की |
मेरी प्यारी बिल्ली |
तेज तर्रार मछली |
बिना रंग का फूल भी कितना सुन्दर! |
शेर देखकर लड़की रोयेगी नहीं क्या? |
ये मैंने बनाया कौवा |
सहेली |
लो मैंने भी बना दिया डोरेमान |
बोलो मेरी डॉल्फिन बाय बाय! |
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