Friday, June 26, 2015

स्वच्छ्ता एक नैसर्गिक चाह



इन तस्वीरों का सम्बन्ध न किसी ज़माने में 
लालू यादव द्वारा किए गए गरीबों के बाल काटने और नहवाने के ड्रामे से है 
और न ही मोदी के स्वच्छता अभियान से. 
ये तस्वीरें मोदी के स्वच्छता अभियान के ड्रामे से पहले की हैं.
ये बताती हैं कि स्वच्छ्ता एक नैसर्गिक चाह है, 
किसी राज्यादेश से इसका रिश्ता नहीं होता. 
इसमें शशांक पूरे ध्यान से अपने दोस्त के बालों से कीड़े निकाल रहे हैं. 
और दोस्त को भी इस सफाई और प्यार से सुकून मिल रहा है, ऐसा लगता है. 








मेरा फुटबॉल




एक गेंद की तरह
क्या मैं अपने बच्चों के साथ
एक घास भरे मैदान की तरह रह सकता हूँ?
-आलोक धन्वा 


मेरा फुटबॉल है. रोज सुबह खेलता हूँ.
इसकी मेरे पैरों से अच्छी दोस्ती है.
यकीन नहीं तो मुझसे छीन कर देखिए.
मेरे साथ खेलना है तो खेलिए
वर्ना जाइए कहीं बैठकर कविता लिखिए 




तो इसे ही योगासन कहते हैं.

तो इसे ही योगासन कहते हैं. जिसको टीवी पर खूब दिखाया गया था ! 
इसमें कौन से बड़ी बात है.
इसे तो मैं भी करता हूँ पापा के साथ, जब मन करता है. 
मगर मुझे तो किसी ने टीवी पर बुलाया ही नहीं. 
चलो कोई बात नहीं. 
बड़े लोगों की बड़ी बातें. 
वैसे मेरा नाम शशांक है. 




Saturday, March 7, 2015

शशांक के नए दोस्त


इस होली में शशांक गांव गए, तो उन्हें कई नए दोस्त मिल गए. घर के बगल में एक कुतिया ने 6 बच्चे दिए थे. बुलाने पर वे घर के आँगन में चले आते थे. उन्हीं बच्चों के साथ वे खेलते रहे. इस अप्रैल में शशांक महाशय 3 साल के हो जाएँगे. ये मेरे भतीजे हैं.








ये रहा चौथा, दो अभी बाकी हैं 


ये पट्टा मुझे दे दे ठाकुर