एक गेंद की तरह
क्या मैं अपने बच्चों के साथ
एक घास भरे मैदान की तरह रह सकता हूँ?
-आलोक धन्वा
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मेरा फुटबॉल है. रोज सुबह खेलता हूँ. इसकी मेरे पैरों से अच्छी दोस्ती है. यकीन नहीं तो मुझसे छीन कर देखिए. मेरे साथ खेलना है तो खेलिए वर्ना जाइए कहीं बैठकर कविता लिखिए |
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